बांझपन का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Sterility ]

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स्त्रियों में संतान उत्पन्न करने की शक्ति का न होना ही “बंध्यात्व” या “बांझपन” कहलाता है। स्त्रियों की जननेन्द्रिय (अर्थात् जरायु, डिम्बकोष या योनि में किसी विकार के होने पर प्रायः संतान उत्पन्न नहीं होती। यदि उचित प्रकार से उपचार किया जाए, तो विकार नष्ट होकर संतान हो सकती है।

सिपिया 30 — यह बंध्यात्व की मुख्य औषधियों में से एक है। मासिक-धर्म अनियमित होता है, रोगिणी को प्रदर तथा कब्ज होता है, उसका शरीर ऊपर से नीचे एकसार होता है; गर्भधारण के लिए नितंब प्रदेश का चौड़ापन होना चाहिए, वह नहीं होता।

नैट्रम म्यूर 30 — इसके बंध्यात्व में योनि सूखी रहती है; प्रदर-स्राव लगने वाला, चिरमिराने वाला और पनीला होता है; गर्भाशय स्थान-च्युत होता है। इसमें यह औषधि उपयोगी होती है।

बोरैक्स 3 — जरायु में श्लैष्मिक-झिल्ली बढ़ जाने के कारण मासिक-धर्म में कष्ट होता है, श्लैष्मिक-झिल्ली के टुकड़े निकलते हैं, श्वेत-प्रदर पानी की तरह बहता है। जरायु के इस दोष के कारण यदि बंध्यात्व हो, तो इस औषधि से वह दूर होकर गर्भ स्थिर हो जाता है।

थ्लैस्पि बस पैस्टोरिस (मूल-अर्क) 6 — दिन में 3 बार इस मूल-अर्क की 3 बूंद देते रहने से गर्भाशय के अनेक रोग और विकार दूर होकर गर्भ सरलता से धारण हो जाता है।

ऑरम म्यूर नैट्रोनेटम 3x — यह औषधि जरायु तथा डिम्बग्रंथियों के अनेक रोगों को दूर कर देती है। स्त्री के जननांगों पर इसका विशेष प्रभाव है। जरायु के अर्बुद, जरायु के जीर्ण-प्रदाह, जरायु का स्थान-च्युत होना, जरायु की ग्रीवा तथा योनि-पथ में घाव आदि रोग इससे ठीक हो जाते हैं, जिनके ठीक हो जाने से गर्भ-धारण सरल हो जाता है।

थूजा 30 — यदि प्रदर के कारण बंध्यात्व हो, तो इस औषधि से वह दूर हो जाता है।

ऐलेट्रिस फैरिनोजा (मूल-अर्क) 3 — यदे जरायु की कमजोरी के कारण गर्भ न ठहरता हो, तो यह औषधि गर्भाशय को सबल बनाकर, गर्भ ठहरने में सहायता प्रदान करती है।

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