चलने फिरने से कमर दर्द का घटने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Waist Pain Reduce on Walking ]

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अर्जेन्टम नाइट्रिकम 30 — रोगी की टांगे कांपती हैं, उनमें कमजोरी महसूस होती है और टांगों की पिंडलियां में हड़कन लगती है, ऐसा प्रतीत होता मानो बहुत लंबा सफर तय किया है। कटि-प्रदेश और कमर में दर्द होता ही है। जब कोई व्यक्ति बैठा हुआ हो, तब पहले-पहल बैठी हुई हालत से उठने में बड़ा दर्द होता है और चलने-फिरने से ठीक हो जाता है।

बारबेरिस बलगैरिस (मूल-अर्क) 6 — इस औषधि की 5-6 बूंद दिन में 2 बार लेने से कमर का हल्का दर्द जो आगे चलकर शुद्ध कटि-शूल का रूप धारण कर सकता है, ठीक हो जाता है।

पल्सेटिला 30, 200 — चलने-फिरने से आराम प्रायः स्त्रियों में ऋतु-संबंधी गड़बड़ी के समय होता है। इसमें बैठने में भी कमर-दर्द होता है, विशेषकर पीछे की तरफ झुकने में, जोड़ों में कमजोरी महसूस होती है, लगता है वे हिल जाएंगे, हरकत करने से राहत महसूस होती है।

रस-टॉक्स 30 — पड़े रहने से दर्द बढ़ता है और हरकत से घटता है। बैठी हुई अवस्था से जब पहले-पहल कोई उठता है, तब दर्द होता है। कमर-दर्द की यह सबसे बढ़िया औषधि है। इसका कमर की मांस-पेशियों पर विशेष प्रभाव है। कमर-दर्द की यह सर्वोत्तम औषधि है।

कैल्केरिया फ्लोर 6x — कमर दर्द के पुराने रोगियों के लिए यह औषधि अच्छा काम करती है। रोगी जितना चलता-फिरता है, उतना दर्द कम हो जाता है। यह उपयोग औषधि है।

एस्कुलस 3, 6 — रीढ़ की हड्डी के नीचे के हिस्से में जब चिनका पड़ जाता है, चला नहीं जाता, झुका नहीं जाता, तब इस औषधि को लेने से दर्द एकदम काफूर हो जाता है।

कोबाल्ट 30 — खड़ी हालत से बैठने में कमर-दर्द होता है; चलने-फिरने से कमर दर्द को आराम हो जाता है। वीर्य-क्षय से रोगी को कमर दर्द में कुछ राहत मिलती है। यह औषधि कमर-दर्द में बहुत उपयोगी है।

जिंकम मैटेलिकम 6 — रोगी की रीढ़ की हड्डी में जलन होती है और वह पैर चलाया करता है, पिंडलियों में कीड़ियां-सी रेंगती हैं। इसका दर्द प्रायः रीढ़ के निचले भाग में होता है। यदि बैठी हुई हालत से उठने पर कमर दर्द हो, तो यह औषधि अत्यंत उपयोगी सिद्ध होती है।

सल्फर 200 — कटि-प्रदेश में, रीढ़ के सबसे नीचे की हड्डी में दर्द होता है, रोगी कमर सीधी करके नहीं चल सकता। कमर का दर्द रात को बढ़ जाता है, चलने-फिरने से दर्द चला जाता है।

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