मस्तिष्क में पानी भरना या जलशीर्ष या हाइड्रोसेफ़लस का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Water on the Brain (Hydrocephalus) ]

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मुख्यतः यह बच्चों को होने वाला रोग है। इस रोग में मस्तिष्क की भीतरी झिल्ली में शोथ हो जाता है, धीरे-धीरे सिर फूलता जाता है। डॉ. हैनीमैन का कथन है कि मस्तिष्क के शुद्ध-शोथ का युवावस्था में आक्रमण नहीं होता, कहीं अपवाद हो तो बात दूसरी है।

हेलेबोरस नाइगर 3(मूल-अर्क) — रोगी बच्चा ऊंघता-सा रहता है, सिर को तकिये में इधर-उधर करता है, बेहोश-सा पड़ा रहता है। पानी आदि आराम से पी लेता है।

एपिस 6, 30 — मस्तिष्क में जल-संचय होने पर यह देनी चाहिए। पनीले दस्त आते हैं, शरीर जब हरकत करता है, तभी दस्त आता है।

ऐपोसाइनम (मूल-अर्क) — 10 बूंद दिन में 3 बार दें। मस्तिष्कोदक में अत्यंत उपयोगी औषधि है। यह संचित जल को निकाल देती है।

ब्रायोनिया 6 — चेहरा कभी लाल, कभी पीला, सिर का तालु जुड़ा न होकर खुला हो, हिलाने पर बच्चा चीख पड़े। मस्तिष्क के जल-संचय में इसे दें।

बेलाडोना 6, 30 — चेहरा लाल हो जाए, आंख की पुतलियां फैल जाएं, रोगी तकिये में सिर धंसाता हो, नींद में भय के कारण चौंक उठता हो, सिर गर्म और पांव ठंडे हों, तब इसे दें।

सल्फर 30 — रोग पुराना हो जाए, त्वचा के किसी रोग के या दानों के दब जाने से रोग उत्पन्न हुआ हो, बेहोशी हो, अंगों में स्पंदन हो, सिर गरम और पांव ठंडे हों, तब दें।

बैसीलीनम (ट्युबक्युलीनम) 200 — मस्तिष्क में जल-संचय के पुराने रोग में, आधा गिलास पानी में 4 गोलियां डालकर उन्हें घुलने दें। फिर 4-4 घंटे बाद एक-एक चम्मच पिलाएं। .

कैल्केरिया कार्ब 6, 30 — रोगी मोटा और थुलथुला हो, सिर में पसीना, पैर ठंडे, वमन और दस्त आते हों, जरा-सा हिलाने पर ही चीख पड़े, ऐसे लक्षणों में यह औषधि दें।

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