तंतु-खननकारी (गिनिया) कृमि रोग या ड्रैकन्कुलस रुगणता का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Remedies For Dracunculiasis, Guinea-worm disease ]
यह नर और मादा कृमि किसी तरह मनुष्य के पेट में पहुंच जाने पर मादा-कृमि गर्भवती होती है और नर-कृमि मर जाता है तथा मनुष्य के शरीर से बाहर निकल जाता है, किंतु मादा-कृमि आंतों को छेदकर, त्वचा खोदती-खोदती घुटने और पैर के तलुवे की ओर बढ़ती है। यहां तक कि छोटा-सा घाव हो जाता है और उसी घाव से उस कृमि के भ्रूण निकला करते हैं। जब भ्रूण निकल जाते हैं, तब वह मादा-कृमि भी बाहर निकल जाता है।
ट्युक्रियम 3x — हीरा हींग का सेवन करने से लाभ हो सकता है। घाव पर पानी की धार डालते रहने से भी कृमि निकल जाते हैं और तब रोगी को आराम हो जाता है।
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