सूतिका ज्वर (गर्भवती स्त्री को आने वाला बुखार) का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Remedies For Puerperal Fever ]

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यह सौरी घर की प्रसूताओं का एक भयंकर रोग है। प्रसव के समय प्रसव-द्वार में चोटादि लगकर कोई जगह छिल जाने अथवा प्रसव के बाद फूल का कोई अंश न निकलकर भीतर ही रह जाने और गर्भाशय के भीतर ही सड़कर रक्त विषैला होकर अथवा रक्त बंद होकर यह रोग होता है। प्रसव के 2-3 दिन बाद ही यह ज्वर आता है, कभी-कभी 6-7 दिन बाद भी ज्वर आता है।

एकोनाइट 6x — रोग की पहली अवस्था में जब बहुत तीव्र ज्वर, शीत, कंपकंपी, नाड़ी द्रुत और कठिन, पेट में नाभि के पास दर्द, अधिक प्यास और जरायु में दर्द होने लगे, तब यह औषधि अत्यंत गुणकारी सिद्ध होती है।

बेलाडोना 30 — उदर में तीव्र दर्द, बेचैनी, ज्वर की अधिकता, चेहरा लाल, शरीर के भीतर और बाहर जलन, तेज प्यास, सिर में टपक की तरह दर्द, रोगिणी को सरसाम तक हो जाए।

मर्क कोर 6 — तलपेट में काटने की तरह दर्द, बहुत अधिक प्यास, रक्त या आंव मिले दस्त।

वेरेटूम विरिड 1 — खींचन या अकड़न, बहुत कंपकंपी, चेहरे तथा सिर में गर्मी मालूम होना।

इग्नेशिया (मूल-अर्क) 30 — रक्त दूषित होने पर यह औषधि लाभ करती है। इस औषधि को स्वतंत्र रूप में अथवा अन्य औषधियों के पर्याय-क्रम से दी जा सकती है।

कैलि कार्ब 30 — चुभन का-सा दर्द होने लगे, ज्वर की अधिकता। रोगिणी बेचैन हो जाती है।

रस-टॉक्स 6 — जरायु में प्रदाह (विशेषकर निचले अंग में अवसन्न करने वाला दर्द); बहुत देर तक टिका रहने वाला बदबूदार स्राव और जीर्ण सूतिका रोग के लक्षण में यह उपयोगी है।

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