कमजोरी का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Treatment For Debility ]

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शरीर की शक्ति से ही जीवन का उचित निर्वाह होता है, कमजोर व्यक्ति को. तो अपना शरीर चलाना ही कठिन होता है। जिनके पास शक्ति की पूंजी होती है, वे। संसार के कामधंधों की चिंताओं, जीवन के आघातों और परेशानियों को दूर कर लेते हैं, किंतु जिनके पास यह पूंजी कम होती है, वे अधिक शारीरिक परिश्रम नहीं कर पाते हैं; कमजोर और शक्तिहीन होने के कारण उनका संसार के थपेड़े खाने की दौलतं, सहन-शक्ति समाप्त हो जाती है। यह कमजोरी कई कारणों से हो सकती है, जैसे व्यापार की चिंताएं, प्रेम में ठेस लगना, प्रिय व्यक्ति का वियोग या बिछुड़ जाना, पढ़ने-लिखने में सामर्थ्य से अधिक कार्य करना, वीर्य-नाश, सेक्स में अधिक लिप्त रहना आदि कारणों से भी व्यक्ति कमजोर हो जाता है।

नक्सवोमिका 1X — यह औषधि शरीर की कमजोरी में उपयोगी है।

अर्जेन्टम मेटैलिकम 6x — यदि कमजोरी के कारण जोड़ों में दर्द, पीठ तथा रीढ़ की हड्डी में कमजोरी, थकावट की अधिकता, रोगी लेटा रहना चाहता है। इस औषधि को कमजोरी में विशेष प्रभाव है। इससे घुटनों आदि की कमजोरी भी दूर हो जाती है।

फौरमिक एसिड 6 — इस औषधि के सेवन से व्यक्ति में शारीरिक शक्ति की वृद्धि होती है, व्यक्ति थकान को सहन करने में समर्थ हो जाता है और स्वयं को शक्ति-संपन्न पाता है।

मैग्नेशिया कार्ब 30 — जो स्त्रियां अधिक थकी-मांदी हों, घर का काम करते-करते जिनकी शक्ति क्षीण हो गई हो, स्नायविकता से वो क्षीण हो गई हों, उनके लिए यह औषधि उपयोगी है।

चायना 30 — यह औषधि कमजोरी को तो दूर करती है, किंतु यह तभी संभव है, जब वह कमजोरी किसी स्राव से उत्पन्न हुई हो, अर्थात नाक, मुंह, फेफड़े, जरायु या चोट आदि से रक्त-स्राव होने के कारण कमजोरी आ गई हो। वीर्य के अत्यधिक स्खलन से आई कमजोरी में भी यह लाभ करती है।

कार्बोवेज 30 — कमजोरी के कारण शरीर एकदम ठंडा रहता हो या वृद्धावस्था की कमजोरी हो; जब शरीर के रक्त, वीर्य और जल आदि सारतत्व निकल जाते हैं, तब यह औषधि दी जाती है। शरीर के अंगों की खराबी के कारण आई हुई कमजोरी में भी यह लाभप्रद है।

सोरिनम 200 — विविध रोगों के कारण आई कमजोरी में उपयोगी है। जब रोगी को बेहद कमजोरी मालूम हो, हर समय ठंड सालती रहती हो, लेटे रहने में ही राहत महसूस होती हो, पसीना अधिक आता हो, रोगी को लगे कि वह अब स्वस्थ न होगा, तब यह औषधि दें।

पिकरिक एसिड 6 — व्यक्ति में इच्छा-शक्ति की कमी रहती है, मानसिक परिश्रम से व्यक्ति शीघ्र थक जाता है, सदा लेटा रहना चाहता है। शरीर की कमजोरी में यह उत्तम औषधि है।

फास्फोरिक एसिड 1x — जब किसी मानसिक आघात, रोग, वीर्य-क्षय, दुख आदि का शरीर अथवा मन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के कारण कमजोरी आ जाए, तब यह औषधि देनी चाहिए।

हेलोनियास (मूल-अर्क) 6 — जब थकावट के साथ दुखन हो, पीठ और टांगों में जलन हो, परिपोषण के अभाव के कारण कमजोरी हो; स्त्रियों की कमजोरी में यह उत्तम औषधि है। इस औषधि से क्षीण होते हुए रुधिर के रक्त-कण स्वस्थ हो जाते हैं। 10 बूंद दिन में तीन बार देवें।

कैल्केरिया फॉस 30 — आवश्यकता से अधिक काम करने के बाद की थकावटे तथा कमजोरी, चिंता में पड़े रहने से होने वाली कमजोरी, ऐसे बच्चे जो रक्तशून्य हों, जिनके हाथ-पैर ठंडे रहते हों, दुबले-पतले हों, मांसपेशियां बांहों से लटकती हों, रोग के बाद कमजोरी आ गई हो में यह अधिक उपयोगी है।

आर्स आयोडाइड 3x — शरीर में अत्यधिक कमजोरी हो, तो यह औषधि देनी चाहिए।

सेलेनियम 30 — समूचे शरीर की कमजोरी, थोड़े से कार्य से ही व्यक्ति का अधिक थक जाना, मौसम का भी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर गहरा असर होता है; तब यह औषधि लाभ करती है।

कभी-कभी व्यक्ति स्नायविक-शक्ति की कमी से भी ग्रस्त हो जाता है। इसके लक्षण हैं-शरीर के किसी भी हिस्से में जलन हो सकती है, भिन्न-भिन्न प्रकार के संवेदन होने लगते हैं। सबसे बड़ा लक्षण निद्रों का न आना है। व्यक्ति को भूख नहीं लगती, सिरदर्द होता है और चित्त म्लान रहता है।

कैलि फॉस 12x — स्नायविक-शक्ति का सर्वथा ह्रास, थकान, कमजोरी, शारीरिक तथा मानसिक म्लानता इसमें रहती है। इसका कारण प्रायः मानसिक उत्तेजना, सामर्थ्य से अधिक कार्य करना। जो नवयुवक वीर्य-क्षय के कारण कमजोर हो गए। हैं, उनके लिए यह औषधि उपयोगी है।

स्ट्रिकनिया फॉस 3x — इस औषधि का मस्तिष्क तथा सुषुम्ना पर प्रभाव है। रोगी की शारीरिक तथा मानसिक शक्ति क्षीण हो जाती है। स्नायु-शक्ति की कमी होने पर यदि कैलि फॉस से लाभ न हो, तो यह औषधि देनी चाहिए।

फास्फोरस 30 — सारे शरीर में कमजोरी और शरीर थका-थका-सा लगता है। जननेन्द्रिय में उत्तेजना होती है, फिर भी कामशक्ति में कमी बनी रहती है, इसे देने से सब ठीक हो जाता है।

नैट्रम म्यूर 30 — कमजोरी, अनिद्रा से परेशान रोगी पूर्वकाल की दुर्घटनाओं या अरुचिकर बातों को सोचने की उलझन में फंसा रहता है। इस औषधि के प्रयोग से कमजोरी दूर और मानसिक स्थिति सही हो जाती है।

कार्बोवेज 30 — यह युवक-युवतियों की कमजोरी और स्नायविक दुर्बलता में उपयोगी है।

नक्सवोमिका 6, 30 — जो लोग शारीरिक-श्रम नहीं करते, पढ़ने-लिखने अथवा मानसिक कार्य में व्यस्त, अधिकतर बैठे रहते हैं, चिड़चिड़े और क्रोधी स्वभाव के होते हैं, उनकी स्नायविक कमजोरी में यह औषधि लाभ करती है।

आर्निका (मूल-अर्क) — इस औषधि की 10-15 बूंद पानी के साथ लेने से स्नायु को बल मिलता है और शारीरिक कमजोरी भी दूर हो जाती है।

एसिड फॉस 1x — जननेन्द्रिय शिथिल हो जाती है। रोगी ऊंघता रहता है, तंद्रा में रहता है, चुस्ती नहीं आती। ऐसी अवस्था प्रायः नवयुवाओं में स्वप्नदोष, हस्तमैथुन अथवा अति काम-चेष्टा से हो जाती है। अत्यधिक कार्य करने तथा चिंताओं के कारण मानसिक-अवसाद, दुर्बलता, थकान, थोड़ा-सा कार्य भी सिरदर्द कर देता है। इसमें इस औषधि का व्यवहार करना चाहिए।

इग्नेशिया 200 — सिर में दर्द, कमजोरी, स्नायविक-शक्ति की कमी में इसे उपयोग करें।

जिंकम फॉस 6 — शरीर वे मस्तिष्क की कमजोरी में लाभप्रद है।

ऐनाकार्डियम 30 — स्मृति-शक्ति क्षीण हो जाती है, चित्त म्लान रहता है, देखने-सुनने की शक्ति कम जो जाती है, काम करने को जी नहीं करता, आत्म-विश्वास का अभाव हो जाता है, वीर्य-क्षय से स्नायु-शक्ति का ह्रास हो जाता है, इसमें यह औषधि उपयोगी है।

मैग्नेशिया कार्ब 200 — यदि जीवन की अनेकानेक चिंताओं से स्नायु-शक्ति क्षीण हो जाए, तो इस औषधि से लाभ होता है।

फौरमिक एसिड 6x — इससे स्नायु-संस्थान को बल मिलता है। यह स्नायविक थकान को मिटा देती है। इसके प्रयोग से निद्रा भी सुखकर आती है, शारीरिक-शक्ति भी इससे बढ़ जाती है।

अर्जेन्टम नाइट्रिकम 30 — यदि किसी रोग के कारण व्यक्ति का शरीर मुझ गया हो, सूख गया हो, कमजोरी के कारण शरीर कांपता हो, नपुंसकता हो। कमजोरी, शक्तिहीनता में लाभप्रद है।

ऐम्ब्रा ग्रीसिया 3 — जो लोग ज्यादा काम करते-करते या वृद्धावस्था के कारण कमजोर हो जाते हैं, शक्तिहीन हो जाते हैं, जिनकी इंद्रिया शिथिल हो जाती हैं, उन पर यह प्रयोग करें।

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