दाद या हर्पीज का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Treatment For Herpes ]

2,474

इसे “भैंसा दाद” भी कहते हैं। इस रोग में शरीर पर जगह-जगह, अलग-अलग छोटे-बड़े और मझोले छाले हो जाते हैं। छालों के चारों तरफ की त्वचा लाल हो जाती है और उनमें प्रदाह रहता है। छालों के भीतर पहले स्वच्छ, फिर दूध जैसा एक प्रकार का तरल पदार्थ इकट्ठा होता है। फिर उसके भीतर का स्राव अपने आप ही सूख जाता है और पपड़ी जम जाती है। हपज की चार प्रकार की श्रेणियां हैं, उनमें हर्षीज जोस्टर या जोना बहुत ही पीड़ा देने वाला रोग है। इसमें शरीर का आधा भाग और प्रायः दाहिनी ओर का भाग रोगाक्रांत होता है। कहीं यह सारे शरीर में हो गया, तो जीवन में संकट पड़ जाता है। हज कभी-कभी पीठ, मुंह, पेट और कंधों में तथा मलेरिया, निमोनिया, मेनिनजाइटिस आदि रोगों में होंठ में हो जाता है।

आर्सेनिक 6, 30 — होंठों अथवा मुंह पर या शरीर के किसी अन्य स्थान पर दानेदार छाले, जिनमें असह्य खुजली तथा जलन हो, तो यह औषधि उपयोगी है।

रैननक्युलस 3, 30 — जब हज सूख जाए, तब अत्यधिक खुजली आरंभ हो जाती है। छाले नीले रंग के होते हैं। खुली वायु में रोग की वृद्धि हो जाती है। तर वायु में भी रोग बढ़ता है।

मर्क सोल 30 — जननेन्द्रिय पर ऐसे छाले जो खुजली तथा जलन पैदा करें, तब इसे दें।

रस-टॉक्स 30 — नितंब-प्रदेश सूज जाए और उस पर दानेदार छाले हो जाएं। ये छाले मुख तथा होंठों पर भी हो सकते हैं। इनमें खुजली तथा जलन होने पर यह औषधि देने से लाभ होता है।

वैरियोलीनम 6 — शरीर पर कहीं भी छाले पड़ जाते हैं, उनमें दर्द और जलन होती है। आमतौर पर इस औषधि से लाभ हो जाता है। हरेक 4 घंटे में 1 मात्रा दें।

मेजेरियम 30 — यदि रोग पुराना हो; वृद्धावस्था के व्यक्तियों के रोग में लाभकारी है।

आर्सेनिक 30 — त्वचा के किसी भाग पर छालों का झुंड हो, विशेषकर पीठ, छाती या पेट पर; त्वचा के किसी स्नायु-मार्ग पर छालों की आधी-अधूरी माला-सी बन जाए।

आइरिस वर्सीकलर 3, 30 — यदि हपज-जोस्टर के साथ पेट में गड़बड़ी हो, तब लाभप्रद है।

रैननक्युलिस 3 — पीठ आदि पर छोटे-छोटे छाले हो गए हों, तब देने से लाभ होता है।

कैथरिस 3x — 10 बूंद इस औषधि को 1 औंस पानी में डालकर लोशन तैयार करें। फिर उसे लिनेन पर डालकर हपज के छालों पर लगाएं, इससे छालों की जलन शांत हो जाती है।

Comments are closed.