रोगभ्रम का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Treatment For Hypochondria, Health Anxiety ]

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किसी प्रकार का शारीरिक रोग न होने पर भी यह बात मन में बैठ जाना कि कोई गंभीर रोग हुआ है और इसी चिंता में उद्विग्न रहने का नाम व्याधि-कल्पना है। वास्तव में यह एक मानसिक विकृति है। रोगी का माता-पिता के वश में रहना, रति-क्रिया से विमुख रहना या रति-क्रिया की अधिकता के कारण ध्वजमंग या धातुदौर्बल्य होना, विलासिता, आलसी की तरह दिन काटना, कल्पना-शक्ति को अधिक चलाना आदि कारणों से यह रोग हो जाता है।

आर्सेनिक 30 — मानसिक कष्ट की प्रकोप वाली अवस्था में थोड़ा प्रलाप रहने के लक्षण में।

नक्सवोमिका 6 — कब्जियत के साथ पाकाशय की गड़बड़ी, काम करने की इच्छा न होना, कभी-कभी मानसिक अवस्था में विमर्ष, कभी-कभी तेज, निद्रा न आना, सिर में चक्कर, श्वास-कष्ट, शारीरिक दुर्बलता आदि।

ऑरम म्यूर 2x — सब कामों में जल्दबाजी, विपन्न भाव, निराशा, विलाप, चिल्लाना, आत्महत्या करने की इच्छा, सिरदर्द में रोगी बेहोश हो जाता है, निद्रा न आना; उपदंश वाले रोगी के व्याधि-कल्पना रोग में यह अधिक लाभ करती है।

सिमिसिफ्यूगा 1X — धातु-दौर्बल्य से उत्पन्न हुए रोग में।।

हायोसाएमस 3 — व्याधि-कल्पना से उत्पन्न हुआ एक ही विषय का उन्माद, जैसे रोगी को वास्तविक उपदंश का रोग न रहने पर भी वह मन में समझता है कि वह ये रोग भोग रहा है और इसके लिए दिन-रात चिंतित रहता है।

कैल्केरिया कार्ब 200 — रोगी मन में समझता है कि उसका इंद्रिय-ज्ञान लोप हो गया है। वह डरता रहता है, मानसिक शांति की कमी; थकावट अनुभव होना; बेहोश कर देने वाला सिरदर्द; खट्टे पानी का वमन करना; कलेजे में दर्द न रहने पर भी रोगी समझता है कि उसके कलेजे में दर्द है और वह दर्द से पीड़ित है।

स्टैनम 6 — सिरदर्द के साथ माथा गरम, नीचे के अंग ठंडे, वमन, पेट में दर्द और खींचन, असह्य अस्वच्छंदता, चलने में पेटदर्द कम होना, थोड़ा चलने पर ही थक जाना, बैठने में दर्द होना।

स्टैफिसैग्रियो 6 — सब विषयों में उदासीनता, धातु निकलना, ध्वजभंग आदि।

बैलैरियाना 30 — उत्तेजना और स्नायविक दुर्बलता में यह उपयोगी है।

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