पुराने जुकाम या पीनस रोग का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Treatment For Ozaena ]

1,222

नाक में अनेक प्रकार के रोग होते हैं। “पीनस” भी उनमें से एक कष्टदायक रोग है। शरीर में अधिक शुष्कता होने से श्वास लेने से जब श्लेष्मा सूख जाता है, तो नाक बंद हो जाती है। ऐसे में श्वास लेने में भी बहुत कष्ट होता है और शुष्कता के कारण रोग को किसी तरह का गंध-ज्ञान भी नहीं होता है। कभी-कभी नाक में जख्म या फोड़ा हो जाता है। यह स्थिति ही “पीनस-रोग” कहलाती है।

पीनस होने पर रोगी को सिर-दर्द, नाक से जलीय-स्राव, खाने-पीने में अरुचि और मुंह में अस्वाद-सा घुला रहने पर बार-बार थूकने की इच्छा होती है। ऐसे में जिह्मा भी स्वादों की पहचान खो देती है। विशेषज्ञों के अनुसार पीनस में कफ-रोगों के वायु-विकारों के लक्षण स्पष्ट होते हैं। पीनस के जख्म में बार-बार खुरंड बनते हैं, नाक में स्राव भरा रहता है। इससे श्वास लेने में बहुत परेशानी होती है तथा रोगी बेचैन हो उठता है।

जुकाम के अधिक दिनों तक बने रहने के कारण भी पीनस-रोग हो जाता है। नाक में बार-बार उंगली, पेंसिल आदि देने से कई बार चोट लग जाती है, जिससे जख्म होकर खुरंड बन जाता है। इससे नाक में शोथ हो जाता है और शोथ के कारण भी पीनस की उत्पत्ति हो जाती है। दूसरे शब्दों में नाक के भीतर की झिल्ली पर ऐसा फोड़ा हो जाना, जो ठीक होने में न आए, बदबूदार मवाद निकलता रहे, “पीनस” कहलाता है।

ट्युबर्म्युलीनम 200 — पीनस रोग में यह औषधि बहुत लाभ करती है।

सोरिनम 200 — त्वचा के रोग से पीड़ित व्यक्ति जो सोरा-रोग से भी ग्रस्त हों, उनके लिए यह औषधि उपयोगी है।

नाइट्रिक एसिड 6 — पीनस-रोग में यह औषधि हितकर है।

ट्युक्रियम 6 — पीनस के लिए यह एक महत्वपूर्ण औषधि है। जब नाक का शोथ पुराना हो जाए, सूंघने की शक्ति न रहे, तब उपयोगी है। यह घाव आदि में भी लाभ करती है।

कैडमियम सल्फ 3, 30 — नाक की अस्थि तथा उपास्थि का सड़ जाना, नाक में अर्बुद होना, नाके बंद हो जाना, नाक में घाव का होना; इसमें नींद आते ही रोगी की श्वास रुकने लगती है, श्वास रुकने के कारण रोगी जागकर उठ बैठता है और फिर सोने से डरने लगता है, इसी कारण दीर्घकालीन अनिद्रा का शिकार हो जाता है, तब इस औषधि से उपकार झेता है।

सिफिलीम 200 — इस औषधि को एक सप्ताह तक रात को सोते समय देने से इस रोग से मुक्ति मिल जाती है।

कैलि बाईक्रोप 3, 30 — इसका स्राव गाय, सूतदार, हरा-पीला होता है; नजला गले में गिरता है। गले में चिपटा श्लेष्मा खखारकर निकालना पड़ता है। इस औषधि से गला साफ करने में सहायता मिलती है।

ऑरम मेट 30 — यक्ष्मा आदि रोग से ग्रसित व्यक्ति यदि पीनस रोग का शिकार भी हो, तो इससे लाभ होता है।

Comments are closed.