नासूर का दर्द का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Treatment For Sinus Pain ]

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गालों पर दोनों तरफ दो हड्डियां होती हैं, जो माथे की हड्डी के खोलों से मिली होती हैं। जुकाम आदि के बिगड़ जाने पर इन खोलों में रेशा जम जाता है, जिससे माथे के किसी भाग में या गाल की उभरी हड्डी में दर्द होता है, यही “साइनस का दर्द” कहलाती है।

कैलि बाईक्रोम 3, 30, 200 — नाक से कड़ा, डोरीदार स्राव निकलता है, साथ ही नाक की जड़ में दर्द होता है, भौंहों के ऊपर या भौंहों के बीच के स्थान में दर्द, यह दर्द माथे के सामने की हड्डी के साइनस तक फैल जाता है, तब इस औषधि से लाभ होता है।

स्पाइजेलिया 6, 30 — रोगी को तेज सिरदर्द होता है, नाक के पिछले हिस्से से स्राव होता है, गले में रेशा गिरता है। कनपटियों और आंखों में दर्द होता है, सिर के एक भाग में दर्द होता है, इसमें यह औषधि उपयोगी है।

आयोडम 3, 30 — अक बंद से जाना, गंध महसूस न होना, दाएं सिर, कान तथा नीचे के जबड़े में दर्द, माथे के सामने के साइनस मैं, नाक की जड़ में बेहद दर्द, रोगी ठंडी वायु चाहता है। वह खुली वायु में श्वास लेना चाहता है।

साइलीशिया 200 — यह भी साइनस के दर्द में लाभकारी है। प्रति सप्ताह। मात्रा प्रयोग करें।

नक्सवोमिका 6, 30 — सिर की चंदिया पर ऐसा दर्द मानों वहां सुइयां चुभोई जा रही हों। रात में नाक बंद हो जाती है, किंतु दिन में बहने लगती है। आंखों के ऊपर सिरदर्द तथा गुद्दी में बेहद दर्द के होने पर इस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

सँग्विनेरिया 6 — सिर की गुद्दी से सिरदर्द उठता है जो सिर के ऊपर से होता हुआ दाई आंख के ऊपर आ टिकता है; नासिका के जीर्ण-प्रदाह में भी सिरदर्द होता है। प्रायः साइनस का सिरदर्द सिर के दाएं भाग में होता है। सूर्य के चढ़ने के साथ दर्द में वृद्धि होती है।

लाइकोपोडियम 30 — साइनस के कारण कनपटियों में तेज दर्द, संध्या को कष्ट का बढ़ जाना।

एमोनिएकम 3x — माथे की हड्डी के साइनस के बंद हो जाने से होने वाले सिरदर्द में उपयोगी है। जीर्ण जुकाम के कारण भी कभी-कभी ऐसा हो जाता है, श्वास लेने में कठिनाई होती है।

इग्नेशिया 30, 200 — नाक की ऐंठन, नाक की जड़ में दर्द, सिर और कनपटी में बेहद दर्द।।

थूजा 30 — दीर्घ-स्थायी जुकाम, गाढ़ा और हरा श्लेष्मा, नाक की जड़ में दर्द, सिर में दर्द ऐसा मानों कोई हथौड़ा बरसा रहा हो, सिर के बाईं ओर तेज दर्द।

कैलि आयोडाइड 3 — तेज सिरदर्द होता है, वहां रेशा जम जाता है। इसके स्राव से नाक की त्वचा छिल जाती है। माथे के सामने के भाग में दर्द होता है, इसमें यह औषधि लाभ करती है।

सैबेडिला 3, 30 — नाक से पानी बहता है, बारम्बार छींकें आती हैं, सिरदर्द रहता है।

मेन्थोल 1X, 6 — बाईं आंख के ऊपर भौंहों के पास सिरदर्द; माथे का दर्द आंखों के गोलकों तक पहुंच जाता है, तब इस औषधि से लाभ होता है।

स्टिक्टा 6 — नाक की श्लैष्मिक-झिल्ली का सूखापन, नाक को छिनकते रहने की चेष्टा, धीमा सिरदर्द, जुकाम के कारण ललाट में दबाव आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।

नैट्रम म्यूर 30 — सूर्योदय से सूर्योस्त तक सिरदर्द, ऋतु-स्राव होने के बाद सिरदर्द; प्रातःकाल सिरदर्द में वृद्धि हो जाती है, साइनस के दर्द में उपयोगी है।

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