Jivha Bandh Method and Benefits In Hindi

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जिह्वा बंध

विधि

किसी भी ध्यानात्मक आसन (पद्मासन, सुखासन) में बैठे व मेरुदण्ड व धड़ को सीधा कर आँखों को बंद कर लें। शांत मनोभाव से इस बंध का अभ्यास करने के लिए मुख खोलकर जिव्हा को उलटकर तालू से लगाते हैं। इसके उच्च अभ्यास के अंतर्गत जिव्हा को कपाल गुहा में और उसके बाद गले में ले जाने का अभ्यास किया जाता है।

लाभ

  • योग व तंत्र शास्त्रों में वर्णित खेचरी मुद्रा को साधने में प्रारंभिक अभ्यास के रूप में उपयोगी।
  • ललना चक्र के जागरण में सहायक।
  • स्वाद व काम इन्द्रिय पर विजय पाने में सहायक।
  • प्रत्याहार में सहायक।

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