Kandhon Ko Ghumane Ke Kriya (Skandh Sanchalan Kriya) Method and Benefits In Hindi

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कंधों को घुमाने की क्रिया (स्कंध संचालन क्रिया)

प्रथम विधि

सुखासन के किसी भी आसन पर बैठ जाएँ। दोनों हाथों को कंधों के समानांतर फैलाएँ और कुहनियों से मोड़ते हुए दाईं हथेली को दाएँ कंधे पर एवं बाईं हथेली को बाएँ कंधे से स्पर्श करते हुए रखें। अब दोनों कुहनियों को सामने लाते हुए छाती के सामने आपस में स्पर्श कराने का प्रयास करें। तत्पश्चात कुहनियों को ऊपर उठाते हुए कानों से स्पर्श कराने का प्रयास करें एवं कुहनियों को जितना पीछे ले जा सकते हैं, ले जाएँ ताकि छाती अधिक फैल सके। दोनों भुजाओं का बगल से स्पर्श कराते हुए कुहनियाँ वापस मूल अवस्था मे ले जाएँ। इस प्रकार कुहनियों को घुमाते हुए 10 से 20 चक्र पूरे करें। अब यही क्रिया विपरीत दिशा की ओर करें।
श्वासक्रम: कुहनियाँ ऊपर उठाते समय श्वास लें एवं नीचे की ओर आते समय श्वास छोड़े।

लाभ

  • छाती उन्नत एवं पुष्ट होती है। महिलाएँ इस क्रिया को करके वक्षःस्थल सुडौल बना सकती हैं।
  • फेफड़ों के फैलने एवं संकुचन करने से उनकी कार्य प्रणाली में सुधार आता है।
  • कंधो के जोड़ सशक्त होते हैं।

द्वितीय विधि

सुखासन के किसी भी आसन में बैठ जाएँ। हाथों को कुहनियों से मोड़कर अँगुलियों को कंधों पर रख लें। अब धीरे-धीरे कंधों को दाएँ से बाएँ वक्षःस्थल के साथ आधा घुमाना है और फिर धीरे-धीरे वापस बाएँ से दाएँ आना है। इस प्रकार इस अभ्यास को आप चाहे तो धीरे-धीरे भी कर सकते हैं या जल्दी-जल्दी भी कर सकते हैं। इसमें मुख्य बात यह है कि सिर की स्थिति एवं दृष्टि बिल्कुल स्थिर रहेगी। सिर्फ कंधे और वक्षःस्थल ही गतिमय होंगे।
श्वासक्रम: दाएँ एवं बाएँ मुड़ते समय श्वास छोड़े एवं मूल अवस्था में आते समय श्वास लें।

लाभ

  • फेफड़े अधिक क्रियाशील हो जाते हैं जिस कारण उनमें अधिक ऑक्सीजन लेने की क्षमता पैदा होती है।
  • गर्दन में लोच, लचक पैदा होती है।
  • रक्त शुद्धिकरण में भी सहायक।

सावधानियाँ

  • यदि गर्दन में कोई रोग है तो विवेक का पूर्ण उपयोग करें।
  • हृदय रोग या उच्च रक्तचाप हो तो क्रमशः अभ्यास करें।

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