Kurmasana Method and Benefits In Hindi
कूर्मासन
विधि
घेरण्ड संहितानुसार – सीवनी नाड़ी (अण्डकोश) के नीचे दोनों एड़ियों (गुल्फ) को विपरीत क्रम से रखें और शरीर, सिर एवं ग्रीवा (गर्दन) को सीधा करके बैठे। यह कूर्मासन कहलाता है। इस अवस्था में बैठने के बाद दोनों कुहनियों को आपस में मिलाकर नाभि स्थान के पास रखें। हाथों की अर्धमुँदी मुट्ठियाँ बनाकर श्वास छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें व सामने देखने का प्रयास करें।
श्वासक्रम: अंतिम स्थिति में श्वास सामान्य।
समय: 1 से 2 मिनट तक।
लाभ
- इस आसन का उद्देश्य कछुए के समान अपने सभी अंगों को अंदर समेट लेना अर्थात साधक अपनी पाँचों इंद्रियों को सांसारिकता की ओर न ले जाकर संयम, तप और त्याग के द्वारा उन पर विजय प्राप्त करें।
- उदर प्रदेश को लाभ एवं पाचन तंत्र मज़बूत होता है।
सावधानियाँ: हार्निया से पीड़ित व्यक्ति न करें। जटिल उदर रोगी भी नकरें।
नोट: कूर्मासन के द्वितीय प्रकार का वर्णन आगे किया गया है।
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