Mandukasana, Bhekasana Method and Benefits In Hindi

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मण्डूकासन (भेकासन)

शाब्दिक अर्थ: मंडूक का अर्थ मेंढक है। यह आसन करते समय मेंढक जैसी आकृति निर्मित होती है। इसलिए इसे मंडूकासन कहते हैं।

विधि

  • वज्रासन में बैठे। धीरे-धीरे घुटनों को एक-दूसरे से अलग करें और पैर की अँगुलियाँ एक-दूसरे को स्पर्श हों ऐसी स्थिति निर्मित करें। अब अपने हाथों व हथेलियों को ज़मीन से स्पर्श कराते हुए घुटनों के सामने या बगल में रखें। मेरुदण्ड और सिर को झुकाते हुए सीधा रखें। श्वास-प्रश्वास स्वाभाविक गति से चलने दें। 8-10 सेकंड इसी स्थिति में रुकें।
  • इस स्थिति में दोनों हाथों को अगल-बगल में न रखते हुए दोनों हाथों की मुट्ठी बनाकर नाभि के पास रखकर उन्हें दबाते हुए आगे की तरफ़ झुकें व सामने की तरफ़ देखें।

श्वासक्रम: आगे झुकते समय श्वास छोड़ें। मूल स्थिति में लौटते समय श्वास लें।
ध्यान: स्वाधिष्ठान चक्र पर।

लाभ

  • पाचन तंत्र प्रणाली को ठीक करता है अतः पेट के अंदर से उठने वाली दुर्गंध आदि रोगों को नष्ट करता है।
  • बुढ़ापे में कमर झुकने से रोकता है।
  • स्त्रियों के लिए यह अति लाभकारी है। प्रजनन-तंत्र पर प्रभाव डालता है।
  • जाँघ, नितंब और पेट की अनावश्यक चर्बी कम करता है।

नोट

  • उपरोक्त दोनों विधियाँ प्रचलित होने के कारण यहाँ दी गई हैं।
  • पहली विधि को कहीं-कहीं मंडूकी आसन के नाम से भी जाना जाता है।

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