Matangini Mudra Method and Benefits In Hindi
मातंगिनी मुद्रा
कण्ठमग्रेजले स्थित्वा नासाभ्यां जलमाहरेत्।
मुखान्निर्गमयेत्पश्चात् पुनर्वक्त्रेण चाहरेत्॥
नासाभ्यां रेचयेत्, पश्चात कुर्यादेवं पुनः पुनः।
मातङ्गिनी परा मुद्रा जरामृत्यु विनाशनी॥
विरले निर्जने देशे स्थित्वा चैकाग्रमानसः।
कुर्यान्मातङ्गिनी मुद्रा मातङ्ग इव जायते॥
यत्र यत्र स्थितो योगी सुखमत्यन्तमश्नुते।।
तस्मात सर्व प्रयत्नेन साधयेत् मुद्रिकांपराम्॥ (घे.सं. 3/88-91)
अर्थ: गले तक जल में खड़े होकर नासिका द्वारा जल खींचकर मुख से जल को बाहर निकालना चाहिए और फिर मुख से जल भरकर नासिका के द्वारा निकालें। पुनः नासिका से जल खींचे और मुँह द्वारा बाहर निकालें। यह क्रिया बार-बार करें। यह मातंगिनी नाम की मुद्रा है।
लाभ
- इसके सिद्ध होने से जरा-मरण का भय नहीं होता।
- इसको सिद्ध करें तो हाथी के समान शक्तिमान बन सकते हैं।
- इस मुद्रा को करने से सब प्रकार के सुख मिलते हैं।
Comments are closed.