Rassi Khichne Ki Kriya Method and Benefits In Hindi

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रस्सी खींचने की क्रिया

अभ्यासक्रम: 1

अ-रस्सी खींचने की क्रिया को तीन प्रकार से कर सकते हैं। कल्पना करें कि हम कुएँ से पानी खींच रहे हैं। (हमारी क्रिया ठीक वैसी ही होनी चाहिए जैसी कि आपने देखी होगी – एक पैर आगे, एक पैर पीछे और पहले एक हाथ से फिर दूसरे हाथ से कुएँ से बाल्टी खींची जाती है) । पहले इसी तरीके से करें फिर यही क्रिया पैर बदलकर करें। हाथ को जितना आगे व पीछे ले जा सकते हैं, ले जाएँ। यह क्रिया 10 से 20 बार करें।

अभ्यासक्रम: 2

यही क्रिया बैठकर करें। सामने पैर तानकर बैठ जाएँ एवं उपरोक्त क्रिया करें।

अभ्यासक्रम: 3 – दही मथना

दही मथना: सामने पैर फैलाकर बैठ जाएँ और ऐसी कल्पना करें कि बाएँ हाथ में एक रस्सी का छोर है और दूसरे हाथ में दूसरी रस्सी का छोर। अब आप अलग-अलग हाथों से समानांतर रूप से एक साथ खींच रहे । हैं और आपके सामने भी कोई साधक आपकी तरफ़ मुँह करके बैठा हुआ है। आपके द्वारा खींची हुई रस्सी को वह वापस खींच लेता है। आप फिर वही रस्सी दोबारा खींचते हैं सामने वाला साधक दोबारा वह रस्सी अपनी तरफ़ खींच लेता है। इस प्रकार की खींचा-तानी 15-20 बार करें। हाथों को जितना पीछे ले जा सकते हैं, ले जाएँ। यह क्रिया ठीक दही मथने के समान ही है।
श्वासक्रम: हाथ आगे लाते समय श्वास लें एवं हाथ पीछे करते समय श्वास छोड़ें।

लाभ

  • हाथों के पंजे, कोहनी, भुजाएँ और कंधों की माँसपेशियों को ज़बर्दस्त व्यायाम मिल जाता है। जिनसे वह शक्तिशाली और लोचमय बन जाती हैं। स्त्रियों के उरोजों का विकास करता है।
  • मेरुदण्ड लचीला बन जाता है।

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