SANGUINARIA CANADENSIS Medicinal Uses and Side Effects In Hindi

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सैंग्विनेरिया (Sanguinaria)

प्रधानतः दाहिनी तरफ की औषधि और विशेष रूप से श्लैष्मिक झिल्ली पर काम करती है, खासकर साँस-मार्ग के । इससे स्पष्ट रूप से रक्तवाहिनी की गड़बड़ी होती है, जैसा गालों पर घेरेदार लाल चकते, गरम लहरें, सिर और सीने में खून का रुकना, कनपटी की शिराओं का फूलना, हथेली और तलवों में गलन-सी मालूम होती है और वयः सन्धिकालीन बाधाओं में लाभदायक सिद्ध हुई है । गरम पानी की तरह जलन संवेदना । इन्फ्लुएँजा की खाँसी । तपेदिक, साँसयन्त्र के जुकाम का एकाएक रुक जाना और फिर दस्त शुरू होना । शरीर के कई भागों में जलन होना इसकी विशेषता है ।

सिर — दाहिनी तरफ अधिक पुराना सिर दर्द, सिर के पिछले भाग से दर्द शुरू होकर पैरों तक फैले और आँखों के ऊपर तक पहुँचकर वहीं ठहर जाए, खासकर दाहिनी आँख के ऊपर तक शिरायें और कनपटी तनी हों । दर्द लेटने और सोने से कम रहे । सिर दर्द वय-सन्धिकाल में वापस आए, हर सातवें दिन । (सल्फर, सैबाडि.) । बाँयीं तरफ की ऊपरी पाश्र्व कपालास्थि के एक छोटे स्थान में दर्द । आँखों में जलन । सिर के पीछे दर्द -बिजली की चमक की तरह ।

चेहरा — भरभराया हुआ । स्नायुशूल, दर्द ऊपरी जबड़े से सभी तरफ फैले । गालों. पर लाली और जलन । यक्ष्मा ज्वर । जबड़ों के कोनों में भरापन और कोमलता ।

नाक — मौसमी फ्लू । अधिक घृणित स्राव के साथ पीनस रोग । नासार्बुद । जुकाम, बाद में दस्त । जीर्ण श्लैष्मिक झिल्ली प्रदाह, झिल्ली सूखी और रक्तसंचित ।

कान — कानों में जलन । सिर दर्द के साथ कान दर्द । भनभनाहट और गर्जन । कान-अर्बुद ।

गला — फूला, दाहिनी तरफ अधिक । सूखा और सिकुड़ा । सूखा, जलन संवेदन के साथ । मुँह का और मुखगह्वर का घाव । जुबान सफेद, झुलसी मालूम हो । तालुमूल प्रदाह ।

आमाशय — मक्खन से घृणा । तीखी चीजों की इच्छा । बिना बुझने वाली प्यास, जलन, कै । लार बहने के साथ मिचली । कमजोरी जैसे जान चली जाएगी । (फॉस सीपिया) । पित्त थूकना, आमाशय पक्वाशय का नजला ।

उदर — जुकाम कम होने लगे तो दस्त शुरू हो । जिगर प्रदेश के ऊपर दर्द । दस्त, पित्तमय बहुत जोर से निकलने वाला मल । (नैट्., सल्फ्यु, लाइकोपो) । मलाशय का कर्कट रोग ।

स्त्री — प्रदर, घृणित, छीलने वाला । मासिकधर्म घृणित, अधिक मात्रा में । स्तनों में दर्द । मासिकधर्म के पहले काँख में खुजली । वयःसन्धिकालीन बाधाएँ ।

साँस-यन्त्र — स्वर-यन्त्र का शोथ । कण्ठनली दर्द वाली । वक्षास्थि के पीछे गरमी और तनाव । स्वरलोप । पाकाशयिक विकारी खाँसी, डकार से कम हो । सीने में जलन, दर्द के साथ खाँसी, दाहिनी तरफ अधिक । बलगम चिमड़ा, मोरचे के रंग का, घृणित, प्रायः बाहर निकलना असंभव । इन्फ्लुएँजा और कुकुरखाँसी के बाद आक्षेपिक खाँसी वापस आए । वक्षास्थि के पीछे गुदगुदी जिससे लगातार कड़ी खाँसी आती रहे, रात में लेटने पर अधिक हो । बिस्तर से उठ बैठना आवश्यक । सीने की दाहिनी तरफ जलन वाला दर्द, दाहिने कंधे में घुसे । दाहिनी स्तन-घुण्डी के नीचे तीव्र दर्द । मासिक धर्म के दबने से खून थूकना । तीव्र साँस कष्ट और सीने में सिकुड़न । घृणित साँस और मवादी बलगम । सीने में जलन, मानो गरम भाग सीने से उदर में जा रहा है । सौत्रिक क्षय रोग । फुफ्फुस प्रदाह, पीठ के बल लेटने से कम । पेट के विकार के साथ दमा । (नक्स) । फुफ्फुस के विकार के साथ कपाट रोग, मूत्र में फॉस्फेट आए और दुबलापन । वायुमार्ग के नजले के एकाएक दब जाने के कारण दस्त शुरू होना ।

अंग — दाहिने कन्धे में, बाँयी उरु-सन्धि और गरदन की जड़ में वात रोग । हथेली और तलवों में जलन । उन स्थानों में वात रोग जहाँ माँस की तरह पतली हो, जोड़ों में नहीं । पैर की अँगुलियों और तलवों में जलन । दाहिनी तरफ का स्नायु प्रदाह, स्पर्श से कम हो ।

चर्म — रस. (सरपच) विष का प्रभाव नाश करती है । लाल चकत्तेदार स्फोट, वसन्त ऋतु में अधिक हो । जलन और खाज, गरमी से बढ़े । मुँहासे, कम मात्रा में मासिक धर्म के साथ । चर्वण अस्थि पर लाल, घेरेदार चकते ।

घटना-बढ़ना — बढ़ना-मिठासपन, दाहिनी तरफ, हरकत, स्पर्श ।

घटना — अम्लमय पदार्थ, सोने से, अन्धकार से ।

तुलना कीजिए : — जस्टिसिया (वायु नलिका जुकाम, नाक का साधारण जुकाम, गला बैठना, अति उत्तेजना), डिजिटैलिस (अधकपारी), बेला, आइरिस, मेलिलो., लैके, फेरम, आपि. ।

मात्रा — सिर दर्द में अरिष्ट, वात रोग में 6 शक्ति ।

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