VIPERA BERUS Homeopathic Medicinal Benefits and Side Effects In Hindi

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वाइपेरा (Vipera)

(दी जर्मन बाइपर)

वाइपर के विष से कुछ काल के लिए परावर्तित क्रिया बढ़ाती है, आंशिक पक्षाघात होता है, निचले अंगों से शुरू होकर ऊपर की तरफ चढ़ता है । ऊपर चढ़ने वाले तीव्र पक्षाघात की तरह अवस्था होती है (वेल्स) । गुर्दों पर प्रभाव विशिष्ट रखती है और रक्तमय सुन्न उत्पन्न करती है । हृदय-शोथ ।

शिराओं के फूलने में सांकेतिक होती है, फटन संवेदना । जिगर का बढ़ना । रजो निवृत्तिकाल के रोग । टेंटुवा का शोथ । अनेक स्थानों के स्नायु प्रदाह और अस्थि-मज्जा प्रदाह ।

चेहरा — अधिक फूला हुआ । होंठ और जीभ फूली हुई, सुख, बाहर निकली हुई । जीभ सूखी, कत्थई, काली । बोलना कठिन ।

जिगर — बढ़े हुए जिगर में तीव्र पीड़ा, कामला रोग और ज्वर के साथ, कन्धों और नितम्ब तक बढ़े ।

अंग — रोगी अंगों को उठाकर रखने को बाध्य । नीचे लटकाने से ऐसा लगे कि फट जाएँगे, और दर्द असह्य हो । (डिआडे.) । शिराओं का सिकुड़ना और तीव्र शिरा प्रदाह । शिराएँ फूली हुई, उत्तेजित, फटन दर्द । निचले अंगों में तीव्र ऐंठन ।

चर्म — सुख । बड़ी पपड़ियों में उधड़े लसिका वाहिनियों का अर्बुद, फुड़िया, कारबंकल्स, फटन संवेदन, रोगग्रस्त भाग को उठाकर रखने से कष्ट कम हो ।

सम्बन्ध — पेलियस बेरस -ऐडर. (शिथिलता और गशी, रुकती नाड़ी, पीला चर्म, नाभि के क्षेत्र में दर्द, बाँह, जुबान और दाहिनी आँख का फूलना, चक्कर, मीनाक्का, गशी, रोगग्रस्त संवेदन, सीने पर दाब, ठीक से साँस न ले सके, अंगों में टीस और सख्ती, जोड़ कड़े, शिथिल संवेदन, अधिक प्यास) । ईल सेरम (हृदय और गुर्दा रोग व हृदय की प्रतिकारक क्रिया का लोप होना और गति रुकने की सम्भावना) ।

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