सांस की तकलीफ का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Breathlessness ]

1,846

जब श्वास लेने और छोड़ने में बहुत कष्ट होता है, तब सीने पर दबाव-सा महसूस होता है, बिस्तर पर लेटने या बैठे रहने की शक्ति नहीं रहती, वायु मिलने की आशा से रोगी दोनों कंधे उठाए रहता है, इस रोग के ये लक्षण हैं।

फाइटोलैक्का (मूल-अर्क) 3 – श्वास लेने में कठिनाई होना, इसका मुख्य कारण छाती के नीचे की पसलियों में वात-रोग का होना होता है। श्वास लेने में उनमें दर्द होता है, इसलिए श्वास लेने में कठिनाई होती है। श्वास लेने की ऐसी कठिनाई में यह लाभप्रद है।

ग्रिण्डेलिया (मूक-अर्क) 30 – नींद आते ही श्वास बंद हो जाती है और रोगी नींद से एक झटके में जाग उठता है ताकि श्वास ले सके। श्वास लेने के लिए उठ बैठना पड़ता है, लेटे हुए श्वास नहीं ले सकता। श्वास के रोगी के गले में जब सांय-सांय की आवाज, फेफड़ों से सीटी बजने की-सी आवाज, झागदार श्लेष्मा होता है, प्रचुर मात्रा में चिपटने वाला खखार निकलता है, जिससे आराम मिले, तब यह औषधि उपयोगी रहती है। श्वास-प्रश्वास धीरे-धीरे चलते-चलते क्रमश: तेज हो जाता है और तेज होते-होते तेजी की सीमा पर पहुंच जाता है, इसके बाद फिर धीमा होना प्रारंभ होता है तथा धीमा होते-होते क्षण भर के लिए एकदम बंद हो जाता है। श्वास के ऐसे कष्ट में इस औषधि की 30 शक्ति हर दूसरे घंटे दें।

चायना 30 – (हर दूसरे घंटे) सिर नीचा करने पर श्वास रुक जाता है। श्वास लेने के लिए बड़ा प्रयत्न करना पड़ता है, निरंतर गला घुटने की-सी प्रवृत्ति, सीलन की वायु में श्वास-कष्ट का होना, छाती में घड़घड़, भयंकर, कष्टप्रद श्वास जो हर बार भोजन करने के बाद बढ़ जाता है, ऐसे में यह औषधि लाभ करती है।

Comments are closed.