कंठग्रंथि के बढ़ने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Enlarged Adenoids Tissues ]

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गले में जहां नाक के भीतर का पिछला भाग मिलता है, वहां कुछ तंतु कभी-कभी बढ़ जाते हैं, जिस कारण रोगी नाक से श्वास न लेकर मुंह से श्वास लेता है। प्रायः इस रोग के शिकार बच्चे ही अधिक होते हैं। इस रोग का दुष्परिणाम यह है कि इसके कारण उनका शारीरिक विकास ठप पड़ जाता है और वे मानसिक रूप से भी कमजोर हो जाते हैं।

बैसीलीनम 200 — जिस बच्चे के माता-पिता या दादा-दादी को कभी यक्ष्मा हुआ हो, उसकी चिकित्सा निश्चय ही इस औषधि से आरंभ करनी चाहिए और 10 से 15 दिन में इसकी केवल एक मात्रा देनी चाहिए।

सोरिनम 200 — जिन बच्चों को बहुत बदबूदार जुकाम हो और जिन्हें सर्दी बहुत ज्यादा सताती हो, उनके लिए लाभप्रद है।

एग्रेफिस नूतन्स 3 — टिश्यू के बढ़ जाने पर नाक बंद हो जाती है, टांसिल फूल जाते हैं, उनमें सूजन आ जाती है। गले और कान की परेशानियां भी उठ खड़ी होती हैं। श्लेष्मिक स्राव भी अधिक मात्रा में निकलता रहता है, तब यह औषधि उपयोगी होती है।

सल्फर 30 — पुराने रोग में सबसे पहले यह औषधि दी जानी चाहिए।

हिपर सल्फर 6, 30 — यदि तंतु में पस पड़ जाए, तो इसे दें।

कैल्केरिया आयोडाइड 3x, 6 — इस रोग में यह औषधि भी बहुत लाभकारी सिद्ध होती है।

कैल्केरिया फॉस 30 — बच्चा बहुत कमजोर और दुबला-पतला हो, टांसिल हो गए हों और वे सूजे भी हों, तब यह औषधि दें।

कैल्केरिया कार्ब 30, 200 — यदि बच्चा आवश्यकता से अधिक मोटा, थुलथुल शरीर का हो, रात को सिर और पैर में अधिक पसीना आता हो, कान में मवाद पड़ गई हो और इस रोग से पीड़ित हो, तब कैल्केरिया कार्ब देने से बहुत लाभ होता है।

बैराइटा कार्ब 6, 30 — रोग के आरंभ में; यदि इस रोग में टांसिल बढ़े हुए हों, तब विशेष लाभकारी है।

बैराइटा आयोडाइड 3x — यदि बालक का मासिक विकास रुक गया हो और खूब टांसिल भी हो रहे हों, तब उपयोगी है।

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