पनीला जुकाम का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Treatment For Runny and Watery Nose ]

785

आर्सेनिक एल्बम 30 — पनीले जुकाम में नाक यदि बंद रहे, ठसी हुई हो, छींके आती हैं, किंतु छींकने से जरा भी आराम नहीं मिलता; नाक में अंदर पंख के फड़फड़ाने जैसी खुजली होती है। रोगी को ठंड लगने से जुकाम होता ही रहता है, मौसम बदला नहीं कि छींकों के साथ पनीले जुकाम का वेग बढ़ गया। जुकाम नाक से आरंभ होता है और छाती की तरफ बढ़ जाता है, रोगी सदैव ठंड का अनुभव करता है, अधिक कपड़े पहनने पर भी ठंड नहीं जाती; ऐसे में यह औषधि उपयोगी है।

आर्सेनिक आयोडाइड 3x — इसको पनीला स्राव बड़ा लगने वाला, काटने वाला होता है। यदि यह स्राव श्लैष्मिक-झिल्ली को, जहां से यह बहता है, काटता है, वहां लगता है, तो यह उस औषधि का निश्चित लक्षण है; प्रायः हर प्रकार के पनीले जुकाम में इससे लाभ होता है।

नक्सवोमिका 30 — खुश्क ठंडे मौसम से जुकाम का आरंभ होता है, छींकें आती हैं; नाक से पनीला स्राव बहता है। रोगी को सारे शरीर में ऐसी ठंड सताती है कि आग के पास बैठा भी वह सर्दी से कांपता है, कितना ही कंपड़ा ओढ़ ले, ठंड नहीं जाती। सारा शरीर ठंड से कांपता है। पनीले स्राव के साथ नाक बंद होना, रात को और खुली हवा में नाक का बंद हो जाना, इसके लक्षण हैं।

नैट्रम म्यूर 30 — नाक से बहने वाला जुकाम, जिसे पोंछने से रूमाल के रूमाल भीग जाएं, जुकाम ऐसा कि जैसे नाक से नल चला दिया गया हो; छींकों का दौर शुरू हो कि बंद होने का नाम न ले। डॉ० बोरिक का कहना है कि यदि छींकों से जुकाम शुरू हो, तो इसकी 30 शक्ति की 1 मात्रा देने से जुकाम में तुरंत आराम हो जाता है।

सीपिया 30 — जुकाम नाक से टपकता रहे, तब इससे लाभ होता है। रोग की शुरुआत में भी इसका प्रयोग कर सकते हैं।

एलियम सीपा 3 — यदि नाक और आंख से पनीला स्राव जारी हो जाए जो आंखों में तो न लगे, किंतु नकुरों और होंठों पर लगे, आंख और नाक से पानी झरे, सिरदर्द हो, बार-बार छींकें आएं; स्राव नाक और होंठों को छील दे; बंद जगह में रोग बढ़े और खुली हवा में घटे, श्वास में ठंडी वायु लेने से खांसी छिड़ जाए, खांसी ऐसी आए कि गला फटता-सा लगे, ऐसे पनीले जुकाम में यह औषधि दी जाती है।

युफ्रेशिया 3, 6 — आंख और नाक से पानी निकलता है। रात में जुकाम ज्यादा तंग करता है, लेटने पर परेशानी और भी बढ़ जाती है, तब खांसी उठने लगती है, गले में खुश्की होती है, नाक बंद हो जाती है। इन लक्षणों में इस औषधि से लाभ होता है।

कैम्फर 1x — ठंड लगने से जुकाम का आरंभ होता है। यदि ठंड लगी हो और रोगी ठंड का अनुभव कर रहा हो, तो इसकी 1X शक्ति की 2 बूंद मुंह में डाल लें और प्रत्येक 2 घंटे बाद ऐसा तब तक करते रहें, जब तक कि ठंड का लगना बंद न हो जाए। यह औषधि ठंड को जड़ से दूर कर, जुकाम को रोक देती है।

एकोनाइट 3, 6 — यदि ठंड लगकर जुकाम की आगमन हुआ हो, तब यह औषधि दी जाती है। सर्दी लगकर गले में खुश्की-सी हो, कुछ छींकें आएं, तब यह अवश्य ही दी जानी चाहिए। इससे छींकें रुक जाती हैं, जुकाम भी दूर हो जाता है और सर्दी लगना भी कम हो जाता है।

जेलसिमियम 3, 30 — ठंड लगकर जुकाम होने के साथ-साथ ज्वर हो जाए, ठंड बहुत अधिक लगे, शरीर में दर्द हो, ज्वर के साथ प्यास बिल्कुल न हो, ठंड से शरीर कांपता हो; सुस्ती व्याप्त हो जाए, तो ऐसे जुकाम में यह उपयोगी है।

Comments are closed.