Nauka-Sanchalana (Naav Chalane Ki Kriya) Method and Benefits In Hindi
नौका-संचालन (नाव चलाने की क्रिया)
विधि
सुखासन में बैठ जाएँ। पैर सामने की तरफ़ फैला लें। अब हमें कल्पना करना है कि हम नाव चला रहे हैं। यही सोचते हुए नाव चलाने की क्रिया करनी है। जितना आगे-पीछे होते हुए अभ्यास कर सकें उतना करना चाहिए। अब ठीक इसके विपरीत अभ्यास करें जैसे कि नाविक नाव को आगे गतिमय करने के लिए चप्पू चलाता है और नाव को पीछे लौटाने के लिए दूसरी तरह से चप्पू चलाता है। यही क्रिया 10-15 बार करें।
श्वासक्रम: पीछे जाते समय श्वास लें एवं आगे झुकते समय श्वास छोड़ें।
लाभ
- इसके अभ्यास से कमर, मेरुदण्ड, पैर, पीठ, कंधे तथा हाथों को अच्छा व्यायाम मिल जाता है जिससे उससे संबंधित लाभ स्वतः मिल जाते है।
- शरीर में जमी हुई चर्बी को दूर कर बदन को छरहरा बनाता है।
- उदर प्रदेश को लाभ मिलता है।
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